बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
नेल्सन का निम्नस्तरीय सन्तुलन अवरोध का सिद्धान्त
(Nelson's Low Level Equilibrium Trap)
प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
आर. आर. नैल्सन,ने अपना निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त 1956 में अमेरिकन एकोनामिक रिव्यू में प्रकाशित अपने एक लेख A Theory of the Low Level Equilibrium Trap में प्रस्तुत किया। उनका मानना है कि एक देश में न्यूनतम जीवनयापन स्तर से प्रतिव्यक्ति आय के अधिक हो जाने पर जनसंख्या में वृद्धि होती है जो प्रति व्यक्ति आय को पुनः पीछे ढकेल कर उसे आरंभिक स्थिर संतुलन स्तर पर पहुंचा देती है, और इस प्रकार अल्प विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं निम्न संतुलन पाश के भंवर जाल में फंसकर रह जाती है।
नैल्सन ने यह प्रतिपादित किया कि "इस निम्न संतुलन पास (अवरोध) से बाहर निकलने के लिए यह आवश्यक है कि इतनी अधिक मात्रा में विनियोग किया जाय कि प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर जनसंख्या की वृद्धि दर को पीछे छोड़ दे क्योंकि प्रारंभ में जब प्रति व्यक्ति आय जीवन निर्वाह स्तर से ऊपर उठती है तो उसके साथ जनसंख्या भी बढ़ती है, पर एक सीमा के बाद प्रति व्यक्ति आय में और वृद्धि होने पर जनसंख्या की वृद्धि दर में गिरावट होने लगती है। "
निम्न स्तरीय संतुलन अवरोध में सहायक तत्त्व
नैल्सन ने निम्नलिखित सामाजिक-प्रौद्योगिक स्थितियों का उल्लेख किया है जो निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध में सहायक होती है-
(i) ऊँचा सह-संबंध - नैल्सन का मत है कि अर्द्धविकसित देशों के पिछड़ेपन का कारण या इसके जाल में फंसे रहने कता कारण प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने के कारण जनसंख्या में वृद्धि होना है। इस प्रकार इन दोओं में ऊँचा सहसंबंध होता है।
(ii) विनियोग की नीची प्रवृत्ति - अर्द्धविकसित देशों के पिछड़ेपन का कारण यह भी है कि यहां प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो जाती है परन्तु वहां के लोग अपने जीवन निर्वाह को पूरा करने में ही सामान्य आय को व्यय कर देते हैं। फलतः बचत होती ही नहीं। यदि थोड़ी बहुत बचत होती भी है तो वहाँ के निवासियों में विनियोग करने की प्रवृत्ति बहुत कम होती है।
(iii) भूमि की कमी - अर्द्धविकसित देशों में आय का प्रमुख साधन कृषि ही होता है। इसलिए देश में उपलब्ध समस्त कृषि योग्य भूमि पर खेती कर ली जाती हैं। फलतः देश का आर्थिक विकास करने के लिए और उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि योग्य भूमि की कमी रहती है।
(iv) उत्पादन के पुराने तरीके - अर्द्धविकसित देश निम्न संतुलन जाल में इसलिए भी फंसे रहते हैं, क्योंकि वहां उत्पादन की पुरानी तकनीकों का उपयोग किया जाता है जिससे वस्तुओं की उत्पादन लागते अधिक आती है।
नैल्सन का मॉडल - नैल्सन मॉडल इस मान्यता पर आधारित हैं कि जनसंख्या की वृद्धि प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय की वृद्धि परस्पर आश्रित तथा संबंधित हैं। आय के निम्न स्तर पर किसी अर्थव्यवस्था का निम्न स्तरीय संतुलन अवरोध समझाने के लिए नैल्सन ने संबंधों के तीन समुच्चय प्रयोग किये हैं।
1. जनसंख्या वृद्धि समीकरण - जनसंख्या वृद्धि का समीकरण यह स्पष्ट करता है कि नीची प्रति व्यक्ति आय वाले क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि की दर dp/p में परिवर्तित मृत्यु दर में परिवर्तनों के कारण होते हैं, और मृत्यु दर में परिवर्तन प्रति व्यक्ति आय के स्तर में परिवर्तनों के कारण होते हैं। किन्तु जब प्रति व्यक्ति आय न्यूनतम जीवन निर्वाह स्तर से ऊपर पहुँच जाती है, तो प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि मृत्यु दर को प्रभावित नहीं करती।
इस तथ्य को उपरोक्त चित्र की सहायता से स्पष्ट रूप में समझा जा सकता है-
उपरोक्त चित्र में Y / p प्रति व्यक्ति आय के स्तर से संबंध रखता है, जो कि क्षैतिज अक्ष पर मापी गयी और dp/p जनसंख्या वृद्धि की प्रतिशत दर जो अनुलंब अक्ष पर मापी गयी है। क्षैतिज अक्ष Sबिन्दु, प्रति व्यक्ति आय न्यूनतम जीवन निर्वाह - स्तर है, जहाँ पर जनसंख्या का वृद्धि वक्र (dp/p) प्रति व्यक्ति आय के स्तर के बराबर है। इस स्तर पर जनसंख्या स्थिर है।
बिन्दु S के बायीं ओर जनंसख्या घटक है। यदि हम जनसंख्या के वृद्धि वक्र के साथ-साथ S से ऊपर की ओर चलें, तो न्यूनतम निर्वाह स्तर से ऊपर प्रति व्यक्ति आय बढ़ने पर, जनसंख्या की वृद्धि - दर 'एक उच्च भौतिक सीमा' 'T' तक बढ़ती चलती है। कुछ समय तक इस स्तर पर प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्या बढ़ेगी और फिर बिन्दु M से गिरना शुरू हो जायेगी। अर्थात् उच्च प्रति व्यक्ति आय पर जनसंख्या की वृद्धि दर गिरेगी।
2. पूँजी निर्माण से संबंधित समीकरण - अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण अथवा शुद्ध विनियोग (dk) बराबर होता है-
(i) बचत से निर्मित पूँजी(dk) तथा
(ii) कृषि के अन्तर्गत लायी गयी नयी भूमि की मात्रा
(dr) अर्थात् dk =dk' + dr|
चूंकि जैसे- जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती जाती है नयी भूमि जोत में आती है पर एक सीमा के बाद नयी भूमि में वृद्धि दुर्लभ हो जायेगी इसलिए यह मान लिया गया है कि नयी भूमि पूँजी निर्माण की स्रोत नहीं है, पूँजी स्टॉक में वृद्धि दर बचत द्वारा ही होगी। यह भी मान लिया गया है कि सभी बचत विनियोग हो जायेगी इस प्रकार-
पूँजी निर्माण में वृद्धि = बचत में वृद्धि = औद्योगिक क्षेत्र में विनियोग में कमी
जब तक आय जीवन निर्वाह स्तर से ऊपर नहीं हो जाती विनियोग में कोई वृद्धि संभव नहीं होगी, इस बिन्दु के बाद विनियोग में वृद्धि प्रति व्यक्ति आय के साथ होती है। नैल्सन ने यह भी माना है कि अविनियोग की भी एक निचली सीमा है क्योंकि कोई कितना भी भूखा क्यों न हो वह रेल या सड़क तोड़कर नहीं खायेगा। इसी तथ्य को उपरोक्त चित्र के B हिस्से में दिखाया गया है
(i) dk / p बचतों में से विनियोग की प्रति व्यक्ति दर है, जो लम्बवत् अक्ष पर मापी गयी है।
(ii) वक्र dk/p विनियोग का वृद्धि वक्र है, जो विनियोग की प्रति व्यक्ति दर को प्रति व्यक्ति आय के विभिन्न स्तरों से जोड़ता है। यह वक्र क्षैतिज अक्ष को x बिन्दु पर काटता है, जो कि शून्य बचत का स्तर है।
(iii) x बिंदु के बायीं ओर विनियोग ऋणात्मक है। X शून्य बचत वाले आय स्तर को बतलाता है। जैसे- जैसे प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है विनियोग स्तर भी बढ़ता है जिसकी कोई उच्चतम सीमा नहीं है।
(3) आय निर्धारण समीकरण-
नैल्सन मॉडल का आय-निर्धारण समीकरण उत्पादन फलन की भांति है जो इस मान्यता पर आधारित है कि आय का उत्पादन साधनों के रूप में आगतों का रैखिक सजातीय फलन है अर्थात् (Y) या [उत्पादन (0)] फलन है, पूँजी ( k ), श्रम (L) व प्रौद्योगिकी स्तर (T) का। इस प्रकार Y or Of (KLT)
मॉडल की उपर्युक्त मान्यताओं के आधार पर 'आय वृद्धि वक्र' का निर्माण किया जा सकता है जिसको उपरोक्त चित्र में dy/y के द्वारा किया गया है।
बिन्दु SEX की स्थिति में जनसंख्या स्थिर है, बचत के द्वारा निर्मित प्रति व्यक्ति पूँजी शून्य है, परिणामस्वरूप आय की वृद्धि दर शून्य (dy/y= 0) है। स्थिर साम्य के स्तर के ऊपर प्रति व्यक्ति आय के वृद्धि के साथ प्रति व्यक्ति पूँजी की उपलब्धता तथा श्रम शक्ति की वृद्धि के कारण आर्थिक विकास की दर में वृद्धि होती है परंतु प्रौद्योगिकी प्रगति के अभाव में 'परिवर्तनीय अनुपात नियम' की क्रियाशीलता के कारण आर्थिक विकास की वृद्धि दर में गिरावट आयेगी।
उपरोक्त तीनों समीकरणों के माध्यम से नैल्सन ने अपना मॉडल तैयार किया।
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- प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
- प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
- प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
- प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
- प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
- प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
- प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
- प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
- प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
- प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
- प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
- प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
- प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
- प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
- प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
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